बिहार की पत्रकारिता जगत में जीवन ज्योति का नाम बेबाक लेखनी और साहसिक रिपोर्टिंग के लिए जाना जाता है। मूल रूप से राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की धरती बेगूसराय के निवासी जीवन ज्योति ने वर्ष 2005 से पटना में पत्रकारिता की शुरुआत की और आज तक अपनी निर्भीक पत्रकारिता के लिए खास पहचान बनाए रखी है।
शुरुआती सफर
पत्रकारिता की शुरुआत उन्होंने बिहार के नंबर-वन अखबार दैनिक हिंदुस्तान से बतौर रिपोर्टर की थी। उनकी पहली नियुक्ति पटना सिटी ब्यूरो में हुई, जहां उन्होंने अपनी धारदार रिपोर्टिंग से बहुत कम समय में पहचान बना ली। क्राइम रिपोर्टिंग में उनकी पकड़ इतनी मजबूत रही कि पिंकू चौधरी हत्याकांड से लेकर पटना साहिब स्टेशन को उड़ाने की आतंकी धमकी जैसी बड़ी खबरें सबसे पहले उन्होंने ही ब्रेक कीं। इस बेहतरीन काम के लिए तत्कालीन संपादक सुनील दुबे ने उन्हें सम्मानित किया।
राष्ट्रीय सहारा का दौर
इसके बाद जीवन ज्योति ने राष्ट्रीय सहारा से जुड़कर अपनी नई पारी शुरू की। यहां रेलवे बीट कवर करते हुए उन्होंने ट्रेन में पानी के नाम पर बिक रहे ‘सफेद जहर’ का भंडाफोड़ किया, जिसने रेल प्रशासन को हिला दिया। इस रिपोर्टिंग के दौरान उन्हें माफियाओं की धमकियां भी मिलीं।
इसी बीच 2007 में एक घटना ने उन्हें झकझोर दिया, जब देर रात अपराधियों ने पिस्टल की नोक पर उन पर हमला किया। हालांकि वे बाल-बाल बचे। सहारा में रहते हुए उन्होंने न सिर्फ क्राइम बल्कि पॉलिटिकल रिपोर्टिंग में भी नाम कमाया। बुद्ध स्मृति पार्क प्रकरण पर उनकी खबर “पाटलिपुत्र की धरती पर सूख गए दलाई लामा के अरमान” ने पूरे प्रशासन को कठघरे में ला खड़ा किया।
डिजिटल मीडिया की ओर
राष्ट्रीय सहारा के बाद उन्होंने साई प्रसाद मीडिया ग्रुप से जुड़कर हम वतन अखबार में बिहार ब्यूरो प्रमुख के रूप में काम किया। यहां भी उनकी खबरें सुर्खियों में रहीं—चाहे आरा में ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड की कवरेज हो या पटना में संदिग्ध ट्रेनिंग कैंप का खुलासा। उनके काम को सम्मानित भी किया गया।
समय के साथ जीवन ज्योति ने डिजिटल पत्रकारिता की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने हमारी नजर डिजिटल मीडिया की नींव रखी, जिसने बिहार में कई सनसनीखेज खबरें उजागर कीं। हालांकि संस्थान आगे नहीं चल सका, लेकिन अनुभव ने उन्हें और सशक्त बनाया।
इसके बाद उन्होंने अपने खुद के डिजिटल प्लेटफॉर्म Republican News की स्थापना की। आज रिपब्लिकन न्यूज़ लाखों दर्शकों तक पहुँचने वाला एक भरोसेमंद डिजिटल चैनल बन चुका है, जो क्राइम और पॉलिटिक्स की अंदरखाने की खबरें सामने लाने के लिए जाना जाता है। जीवन ज्योति फिलहाल इसके चैनल हेड हैं।
परिवार और सामाजिक योगदान
जीवन ज्योति का परिवार भी पत्रकारिता से गहराई से जुड़ा है। उनके बड़े भाई कुमार जितेंद्र ज्योति अमर उजाला डिजिटल में बिहार संपादक हैं, जबकि छोटे भाई जैनेंद्र ज्योति दिल्ली में अमर उजाला से जुड़े थे। कोरोना काल (2020) में जैनेंद्र ज्योति के असमय निधन के बाद परिवार ने उनकी स्मृति में जैनेंद्र ज्योति मेमोरियल फाउंडेशन की स्थापना की, जो जरूरतमंदों को ब्लड उपलब्ध कराने का सराहनीय कार्य करता है।
पहचान
पत्रकार जीवन ज्योति की लेखनी का मूल स्वर है बेबाक, निर्भीक और सच के प्रति समर्पित। चाहे क्राइम हो या पॉलिटिक्स, उन्होंने हर बीट पर अपनी अलग छाप छोड़ी है। उनकी रिपोर्टिंग ने न सिर्फ प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया, बल्कि पत्रकारिता को उसका असली सरोकार, जनहित भी दिलाया।











